भारत की लीडिंग एसेट मैनेजमेंट कंपनियों में से एक एक्सिस म्यूचुअल फंड (Axis Mutual Fund) ने Axis NASDAQ 100 फंड ऑफ फंड लॉन्च किया है.

सोने की तरह चांदी में भी ETF के जरिए करें निवेश, जानिए इसके फायदें और बाकी कमोडिटी का क्या है हाल

सोने चांदी की कीमतों में गिरावट का दौर जारी है। वहीं सिल्वर में अब ETF के जरिए निवेश करने संभव हो गया है।

सोने चांदी की कीमतों में गिरावट का दौर जारी है। वहीं सिल्वर में अब ETF के जरिए निवेश करने संभव हो गया है। क्रूड की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी की खबर से क्रूड की कीमतें 82 डॉलर के भी पार पहुंच गई हैं। आइए डालतें हैं एक नजर कमोडिटी बाजार के हलचल पर।

आसमान पर पहुंचे भाव

कच्चे तेल में तेजी का दौर जारी है। कच्चे तेल का भाव 82 डॉलर के पार निकला है। ब्रेंट का भाव 6 हफ्ते की ऊंचाई पर पहुंचा है। क्रूड के दाम 3 जनवरी से चढ़ रहे है। जनवरी में पहली बार ब्रेंट 82 डॉलर के पार खुला था। वहीं WTI जनवरी में पहली बार 80 डॉलर के पार खुला था। WTI का भाव 7 हफ्ते की ऊंचाई पर पहुंचा है। MCX पर भी क्रूड का भाव 6000 के करीब पहुंचा है। MCX पर क्रूड 7 हफ्ते की ऊंचाई पर पहुंचा है।

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क्यों चढ़े भाव?

Kazakhstan संकट और लीबिया से सप्लाई की दिक्कतें के क्रूड के भाव पर असर डाल रही हैं। OPEC+ देशों की Kazakhstan की स्थिति पर नजर है। Kazakhstan से 1.6 मिलियन/बैरल उत्पादन होता है। Libya के करीब 5 लाख/बैरल तेल का उत्पादन घटा है। यहां पाइपलाइन मेंटेनेन्स और ऑयलफील्ड बंद करने से उत्पाद घटा है।

फीका सोना, फीकी चांदी

COMEX पर सोने का भाव 1800 डॉलर के नीचे फिसला है। वहीं कॉमेक्स पर सोना 17 दिनों के नीचे पहुंचा है। 15 दिसंबर 2021 के बाद सोने का भाव 1800 डॉलर के नीचे पहुंचा है। वहीं MCX पर सोने में 47800 रुपये प्रति 10 ग्राम के नीचे कारोबार हो रहा है। जनवरी में MCX पर सोना करीब 1.50% टूटा है।MCX पर सोने के भाव में लगातार तीसरे हफ्ते गिरावट देखने को मिल रही है।

वहीं चांदी की ताल पर नजर डालें तो COMEX पर चांदी में 23 डॉलर के नीचे कारोबार कर रहा है। चांदी की कीमतों में लगातार दूसरे हफ्ते गिरावट देखने को मिल रही है। जनवरी में COMEX पर चांदी के दाम 3% गिरे है। MCX पर चांदी का भाव 62000 के नीचे आया है। MCX पर चांदी 3.50% से ज्यादा गिरी है।

कीमतों में गिरावट क्यों?

ओमिक्रॉन और क्रूड की कीमतों ने सोने-चांदी में दबाव बनाया है। हालांकि ओमिक्रॉन पर WHO के बयान से सोने को थोड़ा सपोर्ट मिला है। लेकिन क्रूड की कीमतों में जारी तेजी से सोने पर दबाव बन रहा है। FED के सख्त रुख से भी सोने में दबाव आया है। वहीं डॉलर में मजबूती से सोने की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है।

Sovereign Gold Bonds Vs Gold ETF: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स और गोल्ड ईटीएफ में क्या है निवेश का बेहतर विकल्प, जानें- यहां

Sovereign Gold Bonds Vs Gold ETF: SGB भारत सरकार द्वारा समर्थित बॉन्ड (सोने के ग्राम में मूल्यवर्गित) हैं. फिजिकल गोल्ड रखने का यह विकल्प इश्यू प्राइस पर सालाना 2.5 फीसदी की दर से रिटर्न देता है.

Published: December 21, 2022 12:06 PM IST

Sovereign Gold Bond and Gold ETF.

Sovereign Gold Bonds Vs Gold ETF: भारतीयों के लिए सोना खरीदना लंबे समय से निवेश का सबसे पसंदीदा विकल्प रहा है. हालांकि, तकनीक के विकास के साथ-साथ सोने में निवेश का तरीका बदल गया है. लेकिन, फिजिकल मार्केट से सोना खरीदने का चलन अभी भी बना हुआ है. निवेश की समय सीमा और लाभ की तलाश के आधार पर, डिजिटल सोने के निवेश में लोगों का रुझान इन दिनों बढ़ा है. आरबीआई द्वारा जारी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) या म्यूचुअल फंड हाउस द्वारा आवंटित एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) के माध्यम से सोने में डिजिटल निवेश किया जा सकता है.

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जानें- क्या है निवेश का बेहतर विकल्प?

सॉवरेन गोल्ड बान्ड (SGB) में निवेश की सिफारिश उन लोगों के लिए की जाती है जो लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं और कर लाभ प्राप्त करना चाहते हैं. SGB भारत सरकार द्वारा समर्थित बॉन्ड (सोने के ग्राम में मूल्यवर्गित) हैं. फिजिकल गोल्ड रखने का यह विकल्प इश्यू प्राइस पर सालाना 2.5 फीसदी की दर से रिटर्न देता है. एसजीबी का मूल्य खरीद के दिन सोने की अंतर्निहित कीमत से जुड़ा होता है. ये बॉन्ड आठ साल की निर्धारित अवधि के लिए जारी किए जाते हैं. हालांकि, आरबीआई बायबैक विंडो खोलने के आधार पर पांचवें वर्ष से रिडेम्पशन विकल्प शुरू हो सकता है. इस प्रकार, एसजीबी में निवेश करना उन लोगों के लिए आदर्श है जो निश्चित ब्याज दर अर्जित करते हुए सोने में निवेश करना चाहते हैं.

SGBs सुरक्षित हैं क्योंकि यह सरकार द्वारा समर्थित हैं. जबकि ऐसे बांडों पर प्राप्त ब्याज अन्य स्रोतों से होने वाली आय के तहत कर योग्य होगा, यदि बांडों को परिपक्वता पर भुनाया जाता है तो कर नहीं लगाया जाएगा. SGB में कम तरलता होती है.

दूसरी ओर, गोल्ड ईटीएफ अधिक तरलता दिखाते हैं. म्यूचुअल फंड हाउसों के माध्यम से उनमें निवेश करना भौतिक रूप से खरीदारी करने के समान है, सिवाय इसके कि यह इलेक्ट्रॉनिक रूप में है. इससे निवेशक सोने की फिजिकल डिलीवरी लिए बिना बुलियन मार्केट में ट्रेड कर सकता है. इस प्रकार, गोल्ड ईटीएफ लचीलेपन को एकीकृत करता है जो सोने के निवेश की सरलता के साथ शेयर बाजार निवेश की पेशकश करता है. कराधान के संदर्भ में, यह निवेश खरीद के 2.5 साल के भीतर बेचने पर अल्पकालिक पूंजीगत लाभ (STCG) कर को आकर्षित करता है. अगर इस अवधि के बाद बेचा जाता है, तो 20 प्रतिशत का दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) कर लागू होता है.

निवेशक जो अपने निवेश की तरलता को बनाए रखना चाहते हैं और एक्सचेंजों पर व्यापार की लचीलापन चाहते हैं, गोल्ड ईटीएफ कीमती पीली धातु में निवेश करने का आदर्श तरीका पाएंगे.

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Bharat Bond ETF: बिना जोखिम बेहतर रिटर्न

फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स (fixed income instruments) में निवेश को तरजीह देने वाले निवेशकों को फिर से भारत बॉन्ड ईटीएफ (Bharat Bond ETF) में निवेश का मौका मिल सकता है क्योंकि सरकार दिसंबर में देश के इस पहले कॉरपोरेट बॉन्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड की चौथी सीरीज/चरण लॉन्च करने की योजना बना रही है। वर्ष 2019 में भारत बॉन्ड ईटीएफ लॉन्च की गई थी। फिलहाल इस स्कीम के पांच इश्यू उपलब्ध हैं जो कमश: 2023, 2025, 2030, 2031, और 2032 में मैच्योर होंगे। ये सारे इश्यू सरकार के द्वारा 3 चरणों में लॉन्च किए गए हैं। 5 और 10 साल की अवधि के इश्यू जो क्रमश: 2023 और 2030 में मैच्योर होंगे पहले चरण के अंतर्गत दिसंबर 2019 में लॉन्च किए गए थे। जबकि 5 और 11 साल की अवधि के इश्यू जो क्रमश: 2025 और 2031 में मैच्योर होंगे दूसरे चरण में जुलाई 2020 में लॉन्च किए गए थे। 2032 में मैच्योर होने वाले 11 वर्षीय इश्यू तीसरे चरण के अंतर्गत दिसंबर 2021 में लॉन्च किए गए। एडलवाइस एसेट मैनेजमेंट (Edelweiss Asset Management) इस ETF को मैनेज करता है।

अब इस ईटीएफ में निवेश को लेकर विस्तार से जानते हैं :

क्या है Bharat Bond ETF?

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह एक ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) स्कीम है। मतलब इसकी लिस्टिंग स्टॉक एक्सचेंज पर होती है और इसमें ट्रेडिंग की सुविधा होती है। इस स्कीम में अंडरलाइंग एसेट (underlying asset) चुनिंदा सरकारी कंपनियों के बॉन्ड हैं। अगर आप भी इस स्कीम में निवेश करना चाहते हैं तो इसके लिए डीमैट अकाउंट (demat account) का होना जरूरी है। वैसे निवेशक जिनके पास डीमैट अकाउंट नहीं है, उनके लिए भी इसमें निवेश की सुविधा है। लेकिन वे इसमें किसी भी म्यूचुअल फंड की तरह फंड ऑफ फंड्स (FoF) रूट के जरिए ही निवेश कर सकते हैं। इसमें रिटेल/आम निवेशक कम से कम 1,000 रुपए से निवेश कर सकते हैं, जबकि अधिकतम निवेश की सीमा 2 लाख रुपए है (1,000 रुपए के गुणक में)।

क्यों सुरक्षित है यह स्कीम?

नियमों के अनुसार इस स्कीम में सिर्फ AAA क्रेडिट रेटिंग वाली पब्लिक सेक्टर की कंपनियों के बॉन्ड को ही शामिल किया जा सकता है। साथ ही एक कंपनी के बॉन्ड का अधिकतम वेटेज (हिस्सेदारी) इंडेक्स में 15 फीसदी होगा। ज्यादा से ज्यादा 12 से 13 सरकारी कंपनियों के बॉन्ड इस स्कीम में हैं। एक तो पब्लिक सेक्टर की कंपनी और दूसरे AAA रेटिंग के चलते कहा जा सकता है कि इस स्कीम में जोखिम नहीं के बराबर है।

कितने रिटर्न की संभावना?
सरकार ने इस स्कीम के अंतर्गत अब तक 3 चरणों में अलग-अलग समय पर मैच्योर होने वाले 5 इश्यू लॉन्च किए हैं। आने वाले समय में और अलग-अलग मैच्योरिटी पीरियड के इश्यू लॉन्च किए जा सकते हैं। अगर आप इस स्कीम में निवेश को पूरी मैच्योरिटी पीरियड तक बनाए रखते हैं तो आपको फिक्स्ड रिटर्न (इंडिकेटिव यील्ड) मिल सकता है। जिसकी जानकारी आपको स्कीम खरीदने के वक्त यानी एनएफओ (new fund offer / न्यू फंड ऑफर के दौरान) के दौरान मिलती है। लेकिन अगर आप मैच्योरिटी पीरियड के बीच में स्टॉक एक्सचेंज पर इसे बेचेंगे तो आपका रिटर्न ज्यादा या कम भी हो सकता है। यह मार्केट कंडीशंस (market conditions) खासकर उस समय की ब्याज दर में उतार-चढाव से प्रभावित होगा। इसलिए जो निवेशक फिक्स्ड रिटर्न चाहते हैं, उन्हें पूरी मैच्योरिटी पीरियड तक इस स्कीम में बने रहना होगा।
फिलहाल अप्रैल 2032 में मैच्योर होने वाले इश्यू के लिए रिटर्न (यील्ड टू मैच्योरिटी/YTM) 7.69 फीसदी है, जबकि अप्रैल 2031 में मैच्योर होने वाले इश्यू के लिए यील्ड टू मैच्योरिटी 7.67 फीसदी है। इसी तरह :
अप्रैल 2030 – YTM (7.64%)
अप्रैल 2025 – YTM (7.52%)
अप्रैल 2023 – YTM (7.23%)
इस तरह इसमें पोस्ट टैक्स रिटर्न बैंक एफडी की तुलना में ज्यादा मिल सकता है। खासकर वैसे निवेशकों को जो higher tax slab के अंतर्गत आते हैं।
कितनी टैक्स अदायगी?
अगर आप तीन साल के बाद इस बॉन्ड को रिडीम करेंगे तो आपको इंडेक्सेशन की सुविधा के साथ 20.8 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर) लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स यानी LTCG चुकाना होगा। इंडेक्सेशन (Indexation) के तहत पर्चेज कॉस्ट (purchase cost) को महंगाई (कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स) ETF की सीमाएं क्या हैं के हिसाब से बढा दिया जाता है जिससे टैक्स देनदारी में कमी आती है, जबकि एफडी पर आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होता है। वहां इंडेक्सेशन की सुविधा भी नहीं मिलती। इसलिए टैक्स के मामले में भी यह एफडी के मुकाबले बेहतर है।
कितना expense?
इस स्कीम को मैनेज करने के लिए फंड हाउस को निवेश की राशि का 0.0005 फीसदी यानी दो लाख रुपये पर 1 रुपये देना होगा। जो बहुत ही कम या लगभग ना के बराबर है। हालांकि अगर कोई निवेशक 30 दिन के अंदर ही स्कीम से निकल जाता है जो उसे 0.10 फीसदी एग्जिट लोड देना होगा।

Nifty 50 ETF: निवेश के लिए एक बेहतर तरीका

कई निवेशक जिन्हें इक्विटी के बारे में पूरी समझ नहीं हैं, वे अक्सर आश्चर्य करते हैं कि सही निवेश के मौके आने पर शुरुआत कैसे करें। लोग इक्विटी की ओर आमतौर पर इसलिए आकर्षित होते हैं, क्योंकि इसमें लंबी अवधि में मुद्रास्फीति को पछाड़ने की संभावना होती है।

Nifty 50 ETF: निवेश के लिए एक बेहतर तरीका

कई निवेशक जिन्हें इक्विटी के बारे में पूरी समझ नहीं हैं, वे अक्सर आश्चर्य करते हैं कि सही निवेश के मौके आने पर शुरुआत कैसे करें। लोग इक्विटी की ओर आमतौर पर इसलिए आकर्षित होते हैं, क्योंकि इसमें लंबी अवधि में मुद्रास्फीति को पछाड़ने की संभावना होती है। इसके अलावा, हमारे सभी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए इक्विटी एक्सपोजर के तत्व की आवश्यकता होती है, चाहे वह म्यूचुअल फंड के माध्यम से हो या सीधे स्टॉक या इन दोनों के मिले जुले माध्यम से हो। लेकिन, अगर आप इक्विटी में नए हैं और सीधे शेयरों के साथ शुरुआत करना चाहते हैं, तो निवेश करने के लिए सही कंपनी पर निर्णय लेना आसान नहीं है और इससे पहले आपको कंपनी की वित्तीय स्थिति, उसकी व्यावसायिक संभावनाओं, वैल्यूएशन, उद्योग की गतिशीलता, बाजार की स्थितियों आदि को समझने की जरूरत है। यहां पर निफ्टी 50 ईटीएफ सामने आता है। ईटीएफ, जो एक विशिष्ट सूचकांक को ट्रैक करता है, इससे एक्सचेंजों पर स्टॉक की तरह कारोबार किया जाता है, लेकिन इसे एक म्यूचुअल फंड हाउस द्वारा ऑफर किया जाता है।

Axis MF ने लॉन्च किया NASDAQ 100 फंड ऑफ फंड, 21 अक्टूबर तक लगा सकते हैं पैसे, चेक डिटेल

Axis Mutual Fund: यह न्यू फंड ऑफर (NFO) सब्सक्रिप्शन के लिए 7 अक्टूबर को खुलेगा. इसमें आप 21 अक्टूबर तक पैसे लगा सकते हैं.

Axis MF ने लॉन्च किया NASDAQ 100 फंड ऑफ फंड, 21 अक्टूबर तक लगा सकते हैं पैसे, चेक डिटेल

भारत की लीडिंग एसेट मैनेजमेंट कंपनियों में से एक एक्सिस म्यूचुअल फंड (Axis Mutual Fund) ने Axis NASDAQ 100 फंड ऑफ फंड लॉन्च किया है.

Axis NASDAQ 100 Fund of Fund: भारत की लीडिंग एसेट मैनेजमेंट कंपनियों में से एक एक्सिस म्यूचुअल फंड (Axis Mutual ETF की सीमाएं क्या हैं Fund) ने Axis NASDAQ 100 फंड ऑफ फंड लॉन्च किया है. यह एक ओपन-एंडेड फंड ऑफ फंड स्कीम है और इसके तहत नैस्डैक 100 TRI पर फोकस्ड ETF के यूनिट्स में निवेश किया जाएगा. यह न्यू फंड ऑफर (NFO) सब्सक्रिप्शन के लिए 7 अक्टूबर को खुलेगा. इसमें आप 21 अक्टूबर तक पैसे लगा सकते हैं. इस फंड के तहत ETF में निवेश का मकसद नैस्डैक 100 TRI के प्रदर्शन को ट्रैक करना होगा. इस फंड में निवेश के लिए मिनिमम एप्लिकेशन अमाउंट 500 रुपये प्रति एप्लिकेशन है. इसके बाद 1 रुपये के मल्टीपल में निवेश किया जा सकता है.

एक्सिस NASDAQ 100 फंड ऑफ फंड की खास बातें

  • फंड के तहत कुछ ओवरसीज NASDAQ-100 ETF में निवेश किया जाएगा जो NASDAQ 100 इंडेक्स पर नज़र रखता है. जैसे कि Xtrackers NASDAQ 100 UCITS ETF, iShares NASDAQ 100 UCITS ETF, Invesco EQQQ NASDAQ-100 UCITS ETF.
  • इन ETF ने तुलनात्मक रूप से लोवर ट्रैकिंग एरर के साथ ऐतिहासिक रूप से बेहतर प्रदर्शन किया है, जिससे फंड को फायदा हुआ है.
  • कुछ सबसे बड़ी नॉन-फाइनेंशियल कंपनियों तक एक्सेस
  • टॉप वैश्विक एक्सपर्ट्स का लाभ उठाने का मौका
  • बेहतर एग्जीक्यूशन कैपिबिलिटी

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कंपनी का बयान

एक्सिस AMC के एमडी और सीईओ चंद्रेश निगम ने कहा, “जैसे-जैसे निवेशक परिपक्व हो रहे हैं और अपनी वेल्थ क्रिएशन जर्नी में रुचि ले रहे हैं, एसेट एलोकेशन को लेकर उनमें जागरूकता बढ़ रही है. वैश्विक सीमाएं धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं. एक्सिस नैस्डैक 100 फंड ऑफ फंड के साथ, हम निवेशकों को ग्लोबल एक्सपोजर हासिल करने का अवसर प्रदान कर रहे हैं.” NASDAQ 100 इंडेक्स में बाजार पूंजीकरण के आधार पर NASDAQ शेयर बाजार की 100 सबसे बड़ी नॉन-फाइनेंशियल कंपनियां शामिल हैं. इसमें ग्लोबल ग्रोथ और इनोवेशन है. वर्तमान NASDAQ 100 इंडेक्स एक ETF की सीमाएं क्या हैं टेक-हैवी इंडेक्स है और इसमें हेल्थ केयर, टेक्नोलॉजी और कंज्यूमर जैसे नए इकोनॉमी सेक्टर्स का एक्सपोजर है. यह मुख्य रूप से दुनिया भर में कुछ सबसे इनोवेटिव और तेजी से विस्तार करने वाली नॉन-फाइनेंशियल कंपनियों के नेतृत्व में है जो विभिन्न देशों से अपने राजस्व का बड़ा हिस्सा जनरेट करती हैं.

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