मोदी सरकार लंबे समय से उन पर अंकुश लगाने की इच्छुक रही है लेकिन किसी न किसी कारण से उन पर हाथ नहीं उठा सकी. हालांकि, अब उसे लगता है कि एनएसई घोटाले के रूप में उसे आसान मुद्दा मिल गया है. सरकार की सोच का एक सुराग खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उस दिन दिया जब उन्होंने शिकायत की कि तत्कालीन प्रधानमंत्री (डॉ. मनमोहन सिंह) ने अपने ही वित्त मंत्री से सवाल नहीं किया कि एनएसई में क्या हो रहा है. एनएसई में घोटाले के मुद्दे को टालते हुए उन्होंने कहा कि इसका पता एजेंसियों को शेयर बाजार में हेराफेरी का मामला लगाना है.

ब्लॉग: एनएसई घोटाले में पी. चिदंबरम को अब घेरेगी सीबीआई!

Harish Gupta Blog: P. Chidambaram now on radar of CBI in NSE scam | ब्लॉग: एनएसई घोटाले में पी. चिदंबरम को अब घेरेगी सीबीआई!

शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड और प्रतिभूतियों में निवेश करने वाले पांच करोड़ से अधिक निवेशकों के लिए चिंतित होना स्वाभाविक है क्योंकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर एक और घोटाले की छाया पड़ रही है. मोदी सरकार पांच साल से अधिक समय के बाद इस संबंध में सक्रिय हुई है और अब सीबीआई और आयकर विभाग यह पता लगाने के लिए हाथ-पैर मार रहे हैं कि 2004 से एनएसई में क्या गलत हुआ, किसने स्टॉक एक्सचेंज में भारी मुनाफा कमाने के लिए चालाकी से हेरफेर किया और सेबी ने अपनी जांच पूरी करने में पांच साल क्यों लगाए. सीबीआई सेबी के आकाओं के आचरण पर भी नजर रख रही है.

SEBI ने 85 कंपनियों को कैपिटल मार्केट में ट्रेडिंग पर लगाई रोक, शेयरों के भाव में हेराफेरी पर हुई यह सख्त कार्रवाई

SEBI ने 85 कंपनियों को कैपिटल मार्केट में ट्रेडिंग पर लगाई रोक, शेयरों के भाव में हेराफेरी पर हुई यह सख्त कार्रवाई

किसी कंपनी के शेयर प्राइस को मैनिपुलेट करना वैध नहीं है और इस पर नियामकीय कार्रवाई हो सकती है.

किसी कंपनी के शेयर प्राइस को मैनिपुलेट करना वैध नहीं है और इस पर नियामकीय कार्रवाई हो सकती है. बाजार नियामक सेबी ने सोमवार 6 सितंबर को सनराइज एशियन लिमिटेड समेत 85 कंपनियों पर एक साल तक कैपिटल मार्केट से प्रतिबंधित किया है. यह कार्रवाई कंपनी के शेयर भाव को मैनिपुलेट करने के लिए किया गया है. सेबी ने अपने आजेश में सनराइज एशियन और इसके पांच निदेशकों को कैपिटल मार्केट्स से एक साल के लिए और इससे संबंधित 79 कंपनियों को छह महीने के लिए प्रतिबंधित किया है.

इस तरह हुई धोखाधड़ी

सेबी ने अपनी जांच में पाया कि विलय योजना के तहत शेयरों के आवंटन के लिए सनराइज एशियन और उसके तत्कालीन निदेशकों ने एक नई व्यवस्था तैयार की. इसके तहत 83 संबंधित एंटिटीज ने जांच अवधि के दौरान शेयरों की कीमतों को ट्रेडिंग के चार हिस्सों में मैनिपुलेट किया जो पीएफयूटीपी के प्रावधानों का उल्लंघन है. इसके अलावा इन 83 एंटिटीज में 77 कंपनियां 1059 एंटिटीज/एलॉटीज द्वारा शेयरों की बिक्री में भाव के मैनिपुलेशन में काउंटरपार्टीज थीं जो नियमों का उल्लंघन है.

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एक अन्य मामले में कोरल हब पर लगा प्रतिबंध

सेबी ने शुक्रवार को एक अन्य आदेश के तहत कोरल हब को कैपिटल मार्केट से तीन साल के और छह इंडिविजुअल्स को नियमों के उल्लंघन को लेकर 2-3 के लिए प्रतिबंधित किया. ये छह लोग नियमों के उल्लंघन के समय या तो कंपनी के निदेशक थे या कोरल हब की ऑडिट कमेटी के हिस्सा थे. इस कंपनी ने वित्त वर्ष 2008-09 और 2009-10 के दौरान बढ़ा-चढ़ाकर और भ्रामक वित्तीय परिणाम घोषित किया था और वित्त वर्ष 2009-10 की सालाना रिपोर्ट में संबंधित पार्टी को दिखाए गए ट्रांजैक्शन का खुलासा करने में असफल रही. यह पीएफयूटीपी के नियमों का उल्लंघन है. सेबी ने यह आदेश एक शिकायत पर सुनाया है जिसमें कोरल हब के रेवेन्यू व प्रॉफिट पर सवाल उठाए गए थे. इस मामले में सेबी ने अप्रैल 2008 से जून 2010 के बीच सेबी एक्ट व पीएफयूटीपी नॉर्म्स के उल्लंघन को लेकर जांच प्रक्रिया शुरू किया था जिस पर शुक्रवार को फैसला सुनाया.

PNB में सामने आया घोटाला, DHFL खाते में 3,690 करोड़ की धोखाधड़ी, मामला दर्ज

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मुंबई। सार्वजनिक क्षेत्र में देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक पंजाब नेशनल बैंक (PNB) लगातार घोटालों का सामना कर रहा है। अब बैंक में लगभग 3,690 शेयर बाजार में हेराफेरी का मामला करोड़ का एक नया घोटाला सामने आया है। बैंक ने गुरुवार को कहा कि उसने दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) के एनपीए खाते में 3,688.58 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के बारे में RBI को जानकारी दी है। डीएचएफएल उस वक्त सुर्खिंयों में आई थी जब एक रिपोर्ट में कहा गया कि उसने कई मुखौटा कंपनियों के जरिये कुल 97,000 करोड़ रुपये के बैंक कर्ज में से कथित रूप से 31,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी की।

सेबी ने गौतम थापर पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया, 11 इकाइयों पर 30.15 करोड़ रुपए का जुर्माना

नई दिल्लीः बाजार नियामक सेबी ने मंगलवार को कोष की हेराफेरी और कंपनी के वित्तीय ब्योरे की गलत जानकारी देने के मामले में सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशंस के पूर्व चेयरमैन गौतम थापर और तीन अन्य इकाइयों पर पांच साल के लिए पाबंदी समेत जुर्माना लगाया। इसके अलावा, तीन अन्य व्यक्तियों. कंपनी के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) वीआर वेंकटेश और दो पूर्व निदेशकों माधव आचार्य तथा बी हरिहरन पर छह महीने से लेकर तीन साल तक की अवधि के लिए प्रतिबंध लगाया गया है।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के 248-पृष्ठ के आदेश के अनुसार, मामले में कुल 11 इकाइयों को दंडित किया है। अन्य इकाइयां के एन नीलकांत, अतुल गुलाटी, आदित्य बिड़ला फाइनेंस लिमिटेड और इंडसइंड बैंक हैं। नियामक ने मामले में 11 इकाइयों पर कुल 30.15 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया है। सेबी ने कहा कि उसने गौतम थापर, अवंता होल्डिंग्स, एक्शन ग्लोबल और सोलारिस इंडस्ट्रियल केमिकल्स को प्रतिभूति बाजारों से पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है।

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सूत्रों ने कहा कि गुप्ता को गिरफ्तार किया गया था क्योंकि मामले की हालिया जांच से पता चला था कि उन्होंने न केवल कुछ सबूत नष्ट किए थे, बल्कि भारतीय सुरक्षा और विनिमय बोर्ड (सेबी) के अधिकारियों को रिश्वत देने का भी प्रयास किया था, जब यह एनएसई से जुड़े मुद्दों की जांच कर रहा था। “सबूत सामने आए हैं कि उसने मुंबई में एक सिंडिकेट के माध्यम से सेबी के अधिकारियों को या शेयर बाजार में हेराफेरी का मामला शेयर बाजार में हेराफेरी का मामला तो रिश्वत दी या रिश्वत देने का प्रयास किया। हमें उनसे इस बारे में पूछताछ करने की जरूरत है।’

गुप्ता सीबीआई की 2018 की प्राथमिकी में मुख्य और मूल आरोपी हैं, जिसे एनएसई सह-स्थान मामले के रूप में भी जाना जाता है। इस साल ही रामकृष्ण और अन्य के खिलाफ सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की थी।

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