सामन्य सेवा संगठन के गठन के पीछे मुख्य विचार तैयार माल के लिए सामग्रियों उपलब्ध कराना और तैयार माल को बाजारों में बेचने के लिए खरीदना था। पहली बार बिचौलिया को इस व्यवसाय में सरकार द्वारा ही शुरू किया गया था। राजस्व विभाग से अपेक्षित परमिट प्राप्त करने के बाद समन्या सेवा संगठन के कर्मचारियों ने उत्तर बिहार के नदी बेल्ट से ऑयस्टर-गोले एकत्र किए और कमीशन के आधार पर मेहसी के बटन निर्माण इकाइयों को इसकी आपूर्ति की। बटन के इस अद्वितीय कुटीर उद्योग ने 1964 में एक सेवर्स झटका प्राप्त किया जब नदियों के ऑयस्टर गोले के स्वामित्व को खानों और खनिज अधिनियम 1964 के तहत राजस्व विभाग से खान विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया। रॉयल्टी, सतह किराए और अग्रिम के आकार में खान विभाग को एक साल के लिए एक बड़ी राशि का भुगतान करना पड़ा। पूर्व में जहां नदी के किनारे एक मील तक अयस्क-गोले इकट्ठा करने के लिए 10 रुपये का मामूली भुगतान किया गया था, अब 1964 के प्रवर्तन के बाद लगभग रुपया 1000 का भुगतान करना होगा। यह अधिनियम मेहसी में काले कानून के रूप में याद किया जाता है।

सकल लाभ कैसे बढ़ाएं?

अपने ग्राहकों और उपयोगकर्ताओं को सर्वोत्तम सेवा देने के लिए अलग प्लेटफ़ॉर्म घटक और एक्सेस स्टेलर साइबर का मल्टी-टियर आर्किटेक्चर कुशल संसाधन साझाकरण की अनुमति देता है ताकि प्लेटफॉर्म आपकी परिचालन मांगों के साथ बढ़े। किसी भी वास्तुकला को पूरा करने के लिए डेटा लेक से वितरित एकीकरण और सेंसर तैनात किए जा सकते हैं। ग्रैनुलर रोल-बेस्ड एक्सेस कंट्रोल (RBAC) आपको उपयोगकर्ताओं को केवल वही देखने का प्रावधान करने देता है जिसकी उन्हें आवश्यकता है।

अपने ग्राहकों या व्यावसायिक इकाइयों के डेटा को मल्टी-टेनेंसी के साथ स्टेलर साइबर में सह-अस्तित्व की अनुमति दें। सुरक्षा की तैनाती के तरीके पर नियंत्रण की आवश्यकता वाले जटिल उद्यमों या जटिल उद्यमों की तलाश करने वाले MSSP के लिए बिल्कुल सही। किरायेदारों के लिए समर्पित परिचालन दृश्य बनाएं, विशिष्ट तैनात करें शिकार की धमकी टैनेंट द्वारा अलर्ट, एक ही UI से दानेदार RBAC के साथ सब कुछ एक्सेस करें और कुशल संसाधन साझाकरण के साथ स्केल करें।

बहु-साइट

संवेदनशील डेटा को सीमाओं के पार जाने से रोकने के लिए डेटा को किसी विशिष्ट साइट या क्षेत्र में भौतिक रूप से निवासी रखें। जीडीपीआर जैसे नियमों के अनुपालन को बनाए रखते हुए एकल यूआई से पूर्ण दृश्यता बनाए रखने के लिए सकल आंकड़े केंद्रीकृत हैं। उच्च-विनियमित वातावरण या लचीलेपन की आवश्यकता वाले जटिल उद्यमों में बढ़ने वाले MSSP के लिए आदर्श। मल्टी-साइट सुविधा बिना किसी अतिरिक्त लागत के आती है और एक ही लाइसेंस के सकल लाभ कैसे बढ़ाएं? अंतर्गत है।

परिसर में

आपके पास पहले से मौजूद बुनियादी ढांचे या तारकीय साइबर उपकरणों के साथ ऑन-प्रिमाइसेस तैनात करें। समान क्लाउड-नेटिव तकनीक से परिचालन संबंधी मांगों को पूरा करने के लिए क्लस्टर संसाधन।

किसी भी सार्वजनिक क्लाउड का लाभ उठाएं - Amazon Web Services (AWS), Microsoft Azure, Google क्लाउड प्लेटफॉर्म (जीसीपी), ओरेकल क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर (ओसीआई) - स्टेलर साइबर तैनात करने के लिए

परिनियोजन मॉडल

स्टेलर साइबर अपने दो के लिए कई परिनियोजन मॉडल प्रदान करता है
मुख्य वास्तु घटक, १) सेंसर और 2) डेटा लेक (जो UI को होस्ट करता है
और बादल आधारित एकीकरण ), कॉन्फ़िगर किया गया है।

नेटवर्क सेंसर, सुरक्षा सेंसर और डेटा लेक सभी एक ही भौतिक मशीन पर स्थापित हैं। ऑल-इन-वन परिनियोजन मॉडल के लिए यह टर्न-की समाधान तेज़ और आसान स्थापना के लिए डिज़ाइन किया गया है।

डेटा लेक और सेंसर अलग से स्थापित हैं। डेटा लेक को निजी डेटा केंद्र या सार्वजनिक क्लाउड जैसे केंद्रीय स्थान पर स्थापित किया जाता है जबकि सेंसर पूरे वातावरण में वितरित किए जाते हैं। इस मॉडल में, क्लस्टर बनाने के लिए डेटा लेक को कई भौतिक या आभासी मशीनों में तैनात किया जा सकता है।

ABRY: आत्‍मनिर्भर भारत रोजगार योजना से उद्यमियों को कैसे होगा फायदा?

ABRY: आत्‍मनिर्भर भारत रोजगार योजना से उद्यमियों को कैसे होगा फायदा?

कोरोना वायरस महामारी ने भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को आर्थिक तौर पर बड़ा नुकसान पहुंचाया है. आज स्थिति ऐसी है कि देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) ग्रोथ निगेटिव होने से मंदी का सामना करना पड़ रहा है. बेपटरी हुई अर्थव्यवस्था के साथ-साथ अधिकांश उद्योग घाटे में चल रहे है. हालांकि सरकार उद्यमियों को घाटे से उबारने के लिए भरसक प्रयास कर रही है. इसी क्रम में केंद्र सरकार ने आत्‍मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई) को मंजूरी दी है. ECLGS 2.0 Scheme: कर्ज गारंटी योजना के दायरे में 27 अन्य सेक्टर शामिल, ऐसे मिलेगा फायदा

मेहसी बटन उद्योग

ऑयस्टर शैल बटन उद्योग के पिता - राय साहब भुलावान लाल

मेहसी में पर्ल बटन उद्योग, पूरे देश में अपनी तरह का एक मात्र उद्योग है जिसने दुनिया में प्रसिद्धि अर्जित की थी। मेहसी में एक छोटा ग्रामीण बाजार है जो मेहसी रेलवे स्टेशन के करीब 48 किमी दूरी पर है। इस उद्योग ने अपनी उत्पत्ति स्कूलों के एक उद्यमी सब-इंस्पेक्टर को दे दी, जो मेहसी के एक निवासी भुलावान लाल ने 1905 में सिकरहना नदी में पाए गए ऑयस्टर से बटनों का निर्माण शुरू किया।

इस तथ्य के बावजूद कि बटन तैयार किए गए तो अच्छे नहीं हुए, स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित करने के विचार ने उन्हें ऐसे बटनों के निर्माण के लिए प्रेरित किया।

यह पता चला है कि ऐसे बटनों के कुछ नमूने अमृता बाजार पत्रिका के तत्कालीन संपादक श्री मोतीलाल घोष को भेजे गए थे, जिन्होंने लिखा था कि चूंकि बटन का परिष्करण अच्छे नहीं थे, इसलिए उनके पास कोई विपणन योग्य मूल्य नहीं था। अनुभवी पत्रकार की इस तरह की एक टिप्पणी ने उत्प्रेरक को मशीनरी स्थापित करने के लिए प्रेरित किया और इसका एक सेट जापान से आयात किया गया था। इस मशीन को पाने के लिए 1000 रुपये की एक छोटी पूंजीगत व्यय की गई थी।, 1908 में तिरहुत मून बटन फैक्ट्री के नाम पर पहला बटन फैक्ट्री स्थापित किया गया था। इसके बाद इसे भारतीय कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत किया गया था।


प्रदेश में कहां कितनी हुई धान की खरीद

खरीफ वर्ष 2020-21 में 21 जनवरी 2021 तक राज्य के बस्तर जिले में एक लाख 20 हजार 471 मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है। इसी प्रकार बीजापुर जिले में 55 हजार 401 मीट्रिक टन, दंतेवाड़ा जिले में 13 हजार 401 मीट्रिक टन, कांकेर जिले में 2 लाख 65 हजार 350 मीट्रिक टन, कोण्डागांव जिले में एक लाख 25 हजार 945 मीट्रिक टन, नारायणपुर जिले में 17 हजार 252 मीट्रिक टन, सुकमा जिले में 33 हजार 711 मीट्रिक टन, बिलासपुर जिले में 4 लाख 30 हजार 664 मीट्रिक टन, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही 64 हजार 991 मीट्रिक टन, जांजगीर-चांपा जिले में 7 लाख 71 हजार 608 मीट्रिक टन, कोरबा जिले में एक लाख 15 हजार 821 मीट्रिक टन, मुंगेली जिले में 3 लाख 44 हजार 629 मीट्रिक टन खरीदी की गई है। इसी तरह रायगढ़ जिले में 4 लाख 98 हजार 428 मीट्रिक टन, बालोद जिले में 4 सकल लाभ कैसे बढ़ाएं? लाख 96 हजार 276 मीट्रिक टन, बेमेतरा जिले में 5 लाख 70 हजार 736 मीट्रिक टन, दुर्ग जिले में 3 लाख 81 हजार 633 मीट्रिक टन, कवर्धा जिले में 3 लाख 86 हजार 87 मीट्रिक टन, राजनांदगांव व जिले में 7 लाख 3 हजार 423 मीट्रिक टन, बलौदाबाजार जिले में 6 लाख 4 हजार 191 मीट्रिक टन, धमतरी जिले में 4 लाख 7 हजार 864 मीट्रिक टन, गरियाबंद जिले में 2 लाख 94 हजार 996 मीट्रिक टन, महासमुंद जिले में 6 लाख 38 हजार 190 मीट्रिक टन, रायपुर जिले में 4 लाख 68 हजार 276 मीट्रिक टन, बलरामपुर जिले में एक लाख 34 हजार 643 मीट्रिक टन, जशपुर जिले में एक लाख 273 मीट्रिक टन, कोरिया जिले में एक लाख 3 हजार 960 मीट्रिक टन, सरगुजा जिले में एक लाख 35 हजार 683 मीट्रिक टन और सूरजपुर जिले में एक लाख 59 हजार 690 मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है।


किसानों की संख्या बढ़ी, धान की खरीद में हुआ इजाफा

बता दें कि प्रदेश में वर्ष 2017-18 में जहां 56.88 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी। वहीं वर्ष 2018-19 में 80.83 लाख मीट्रिक तथा वर्ष 2019-20 में 83.94 लाख मीट्रिक टन धान समर्थन मूल्य पर क्रय किया गया था। पंजीकृत किसानों की संख्या में भी साल-दर-साल बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2017-18 में धान बेचने के लिए पंजीकृत कृषकों की संख्या 15.77 लाख थी, वह वर्ष 2018-19 में बढक़र 16.96 लाख तथा वर्ष 2019-20 में बढक़र 19.55 लाख हो गई थी। इस साल समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए पंजीकृत किसानों की संख्या में भी रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है, जो 21.52 लाख है।

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इफको का राष्ट्र के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान

दुनिया की शीर्ष सहकारी संस्था बनने इस पर इफको ने कहा कि, ‘इफको राष्ट्र के सकल घरेलू उत्पाद और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (आईसीए) द्वारा प्रकाशित नौवीं वार्षिक विश्व सहकारी मॉनिटर रिपोर्ट के अनुसार, यह उद्यम के टर्नोवर और देश की संपत्ति को दर्शाता है।’ इफको ने एक बयान में कहा कि इस रिपोर्ट के सातवें संस्करण ने प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मुकाबले कारोबार के अनुपात के आधार पर इफको को दुनिया की शीर्ष सहकारी कंपनी बताया है। इस रिपोर्ट में प्रति व्यक्ति जीडीपी पर किए गए कारोबार को आधार बनाया गया है। प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के आधार पर कारोबार के हिसाब से श्रेणी तय करने का मतलब सहकारी संस्था के कारोबार को उस देश की क्रय शक्ति से संबंधित करना है जहां कंपनी परिचालन करती है।


छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर सर्वाधिक धान की खरीद

छत्तीसगढ़ राज्य में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी अब तक सर्वाधिक धान खरीदी हो चुकी है। राज्य निर्माण के 20 वर्ष में इस साल सर्वाधिक धान खरीदी का रिकॉर्ड आज बन गया है। इस साल चालू धान खरीदी सीजन में 21 जनवरी तक 84 लाख 44 हजार मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है, जो बीते वर्ष राज्य में क्रय किए गए कुल धान 83.94 लाख मीट्रिक टन से 50 हजार मीट्रिक टन अधिक है, जबकि धान खरीदी के लिए कुछ दिन अभी बाकी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य में बीते 2 सालों में धान खरीदी की मात्रा और खेती-किसानी और किसानों की संख्या में लगातार रिकॉर्ड बढ़ोतरी कृषि प्रधान राज्य छत्तीसगढ़ के लिए एक शुभ संकेत है।

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प्रदेश में कहां कितनी हुई धान की खरीद

खरीफ वर्ष 2020-21 में 21 जनवरी 2021 तक राज्य के बस्तर जिले में एक लाख 20 हजार 471 मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है। इसी प्रकार बीजापुर जिले में 55 हजार 401 मीट्रिक टन, दंतेवाड़ा जिले में 13 हजार 401 मीट्रिक टन, कांकेर जिले में 2 लाख 65 हजार 350 मीट्रिक टन, कोण्डागांव जिले में एक लाख 25 हजार 945 सकल लाभ कैसे बढ़ाएं? सकल लाभ कैसे बढ़ाएं? मीट्रिक टन, नारायणपुर जिले में 17 हजार 252 मीट्रिक टन, सुकमा जिले में 33 हजार 711 मीट्रिक टन, बिलासपुर जिले में 4 लाख 30 हजार 664 मीट्रिक टन, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही 64 हजार 991 मीट्रिक टन, जांजगीर-चांपा जिले में 7 लाख 71 हजार 608 मीट्रिक टन, कोरबा जिले में एक लाख 15 हजार 821 मीट्रिक टन, मुंगेली जिले में 3 लाख 44 हजार 629 मीट्रिक टन खरीदी की गई है। इसी तरह रायगढ़ जिले में 4 लाख 98 हजार 428 मीट्रिक टन, बालोद जिले में 4 लाख 96 हजार 276 मीट्रिक टन, बेमेतरा जिले में 5 लाख 70 हजार 736 मीट्रिक टन, दुर्ग जिले में 3 लाख 81 हजार 633 मीट्रिक टन, कवर्धा जिले में 3 लाख 86 हजार 87 मीट्रिक टन, राजनांदगांव व जिले में 7 लाख 3 हजार 423 मीट्रिक टन, बलौदाबाजार जिले में 6 लाख 4 हजार 191 मीट्रिक टन, धमतरी जिले में 4 लाख 7 हजार 864 मीट्रिक टन, गरियाबंद जिले में 2 लाख 94 हजार 996 मीट्रिक टन, महासमुंद जिले में 6 लाख 38 हजार 190 मीट्रिक टन, रायपुर जिले में 4 लाख 68 हजार 276 मीट्रिक टन, बलरामपुर जिले में एक लाख 34 हजार 643 मीट्रिक टन, जशपुर जिले में एक लाख 273 मीट्रिक टन, कोरिया जिले में एक लाख 3 हजार 960 मीट्रिक टन, सरगुजा जिले में एक लाख 35 हजार 683 मीट्रिक टन और सूरजपुर जिले में एक लाख 59 हजार 690 मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है।


किसानों की संख्या बढ़ी, धान की सकल लाभ कैसे बढ़ाएं? खरीद में हुआ इजाफा

बता दें कि प्रदेश में वर्ष 2017-18 में जहां 56.88 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी। वहीं वर्ष 2018-19 में 80.83 लाख मीट्रिक तथा वर्ष 2019-20 में 83.94 लाख मीट्रिक टन धान समर्थन मूल्य पर क्रय किया गया था। पंजीकृत किसानों की संख्या में भी साल-दर-साल बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2017-18 में धान बेचने के लिए पंजीकृत कृषकों की संख्या 15.77 लाख थी, वह वर्ष 2018-19 में बढक़र 16.96 लाख तथा वर्ष 2019-20 में बढक़र 19.55 लाख हो गई थी। इस साल समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए पंजीकृत किसानों की संख्या में भी रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है, जो 21.52 लाख है।

अगर आप अपनी कृषि भूमि, अन्य संपत्ति , पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, दुधारू मवेशी व पशुधन बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु की पोस्ट ट्रैक्टर जंक्शन पर नि:शुल्क करें और ट्रैक्टर जंक्शन के खास ऑफर का जमकर फायदा उठाएं।

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