पहली बार भारतीयों की बचत का आधे से ज्यादा हिस्सा शेयर, बीमा और म्यूचुअल फंड जैसे वित्तीय उत्पादों में

देश की कुल बचत में घरेलू बचत की दो-तिहाई से अधिक हिस्सेदारी नए निवेशकों के लिए तीन रणनीतियों होती है। परंपरागत रूप से हम भारतीय रियल एस्टेट सोना और बैंक फिक्स डिपॉजिट में अपनी बचत को सुरक्षित रखते आए हैं लेकिन अब यह ट्रेंड बदलने लगा है।

स्कन्द विवेक धर, नई दिल्ली। देश की घरेलू बचत का ट्रेंड बदल रहा है। एफडी, सोना और रियल एस्टेट जैसे साधनों की लोकप्रियता में कमी आ रही है। शेयर, बीमा और म्यूचुअल फंड जैसे वित्तीय उत्पादों में रुझान बढ़ रहा है। पिछले साल पहली बार हमारी बचत का आधे से ज्यादा वित्तीय उत्पादों में गया। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की हालिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

क्रिसिल की “The big shift in financialisation” रिपोर्ट के मुताबिक, देश की कुल बचत में घरेलू बचत की दो-तिहाई से अधिक हिस्सेदारी होती है। कोरोनाकाल यानी वित्त वर्ष 2020-21 में तो यह अनुपात 78.5% तक पहुंच गया था। परंपरागत रूप से हम भारतीय रियल एस्टेट, सोना और बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट में अपनी बचत को सुरक्षित रखते आए हैं, लेकिन अब यह ट्रेंड बदलने लगा है। पिछले कुछ वर्षों में भौतिक परिसंपत्तियों में बचत के निवेश के अनुपात में कमी आ रही है और वित्तीय उत्पादों में निवेश का अनुपात बढ़ रहा है। इसके चलते, वित्त वर्ष 2021-22 में पहली बार हमारी कुल घरेलू बचत का आधे से ज्यादा (52.5%) हिस्सा वित्तीय उत्पाद में निवेश हुआ।

बचाव दल ने 10 घंटे तक चलाया अभियान

आनंद राठी शेयर और स्टॉक ब्रोकर्स की कॉर्पोरेट रणनीति की प्रमुख तन्वी कंचन कहती हैं, अपनी बचत को भौतिक संपत्तियों में लगाने के बाद भारतीय निवेशक एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। साल 1950-51 में, घरेलू बचत का लगभग 9% हिस्सा ही वित्तीय संपत्तियों में लगाया गया था, बाकी सभी भौतिक संपत्तियों में था।

कंचन के मुताबिक, भारत ने अपने डिजिटल स्पेस में भारी बदलाव देखा है। इसमें नए प्लेयर आ रहे हैं और खुदरा निवेशकों के लिए वित्तीय उत्पादों की पहुंच को आसान बना रहे हैं। वित्तीय समावेशन, डिजिटलीकरण, मध्यम वर्ग की डिस्पोजबल इनकम में वृद्धि और सरकारी प्रोत्साहनों ने वित्तीय साधनों को प्रसारित करने में बड़ी भूमिका निभाई है।

घरेलू बचत के दम पर ही म्यूचुअल फंड उद्योग ने नवंबर 2022 में पहली बार 40 लाख करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर लिया। इंडस्ट्री को 20 लाख करोड़ से 40 लाख करोड़ का सफर करने में सिर्फ पांच साल का समय लगा। इससे पहले के 20 लाख करोड़ के सफर में तीन दशक से अधिक का समय लगा था।

म्यूचुअल फंड हमेशा लोगों की नजरों में रहते हैं, लेकिन भारतीयों का सबसे अधिक धन जिस वित्तीय उत्पाद में लगा है वह जीवन बीमा है। जीवन बीमा उद्योग 52 लाख करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति (एयूएम) का प्रबंधन करता है। यह कुल वित्तीय उद्योग संपत्ति का 39% है। म्यूचुअल फंड 28.4% के साथ दूसरे स्थान पर है।

क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, एक दशक पहले सरकार की ओर से शुरू की गई राष्ट्रीय पेंशन स्कीम (एनपीएस) सभी के लिए खुली है। इसमें आकर्षक रिटर्न के साथ-साथ टैक्स ब्रेक जैसे प्रोत्साहनों के चलते एनपीएस के तहत परिसंपत्ति बढ़कर 7.36 लाख करोड़ रुपये हो गई। इसके भीतर, निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़कर पांच साल पहले के 12% की तुलना में अब बढ़कर 20% हो गई है।

विशेषज्ञों की मानें तो वित्तीय साधनों में निवेश का अनुपात अब बढ़ता ही जाएगा। कंचन कहती हैं, निवेशक यह महसूस कर रहे हैं कि भौतिक संपत्ति में निवेश से महंगाई का मुकाबला नहीं किया जा सकता। भारतीय परिवार बैंक एफडी पर मिलने वाले रिटर्न से ज्यादा रिटर्न की चाह रख रहे हैं। यह वित्तीय संपत्तियों में निवेश से ही हासिल हो सकती है। इसके अलावा, पारदर्शिता, अधिक तरलता और टैक्स इफेक्टिव होने के चलते भी वित्तीय उत्पादों की मांग बढ़ेगी।

संगठित क्षेत्र के लिए पारंपरिक सामाजिक सुरक्षा कवर कर्मचारी भविष्य निधि (पीएफ) में निवेश पांच साल में 12 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 25 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। अर्थव्यवस्था में संगठित क्षेत्र की बढ़ती हिस्सेदारी से एनपीएस और पीएफ खातों की संख्या में और बढ़ोतरी होना तय है।

क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के प्रमुख आशीष वोरा कहते हैं, पिछले वित्त वर्ष फंड प्रबंधन इंडस्ट्री का एयूएम भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 57% था। अगले पांच वर्षों में यह 74% तक हो जाएगा। विकसित देशों से तुलना करें तो इस इंडस्ट्री में पांच साल में आई इस तेजी के बाद भी बहुत संभावनाएं बची हुई हैं।

वेल्थ मैनेजमेंट कंपनी ऐम्प्लिफाई कैपिटल्स के मैनेजिंग पार्टनर अभिषेक भट्ट कहते हैं, घरेलू बचत के वित्तीयकरण का फायदा हम पहले ही देख चुके हैं। इस साल विदेशी निवेशकों की जोरदार बिकवाली के बावजूद बाजार स्थिर रहे, यह रिटेल निवेशक और म्यूचुअल फंड्स में लगे घरेलू बचत के पैसों का परिणाम था। अभिषेक इस ट्रेंड में छुपे एक जोखिम को लेकर भी आगाह करते हुए कहते हैं, इतनी बड़ी राशि में निवेश इक्विटी एसेट को अनुचित वैल्यूएशन पर ले जा सकता है, जिससे पूंजी फंसने का खतरा भी बन सकता है। यह अर्थव्यवस्था के लिए भी ठीक नहीं होगा। इन खतरों से बचने के लिए हमें वेल्थ मैनेजमेंट की कौशल रखने वाले लोगाें की जरूरत होगी।

क्रिसिल की रिपोर्ट भी कहती है, हमें यह विश्वास करने के लिए बहुत सारे कारण मिलते हैं कि आने वाले वर्षों में फंड प्रबंधन उद्योग द्वारा पेश किए जाने वाले उत्पादों और सेवाओं में तेजी से वृद्धि होगी। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि प्रमुख प्लेयर किस तरह से आगे बढ़ते हैं और चुनौतियों से कैसे निपटते हैं।

गिरावट में खरीदारी की रणनीति और SIP में निवेश जारी रखना चाहिए: नीलेश शाह, Kotak AMC

Kotak AMC के नीलेश शाह ने अगले साल के लिए बाजार में रणनीति बताते हुए कहा कि बाजार पर कुल मिलाकर बुलिश हैं। निवेशकों को गिरावट आने पर ही बाजार में खरीदारी की रणनीति अपनानी चाहिए। नीलेश ने कहा कि SIP में निवेश जारी रखना चाहिए। इंफ्रा सेक्टर में सरकारी और प्राइवेट निवेश बढ़ा है। इस सेक्टर में तेजी को लेकर बाजार को बहुत उम्मीदें हैं

चीन में कोविड के फैलते हुए मामलों पर नीलेश शाह ने कहा कि इससे सप्लाई चेन पर असर हो सकता है। चीन में कोविड संकट का असर कमोडिटी पर भी दिखेगा

साल 2022 अब बीतने को है। इसमें 2 हफ्ते से भी नए निवेशकों के लिए तीन रणनीतियों कम समय बचा है। वहीं नया साल दस्तक देने को सामने खड़ा है। लेकिन इसके साथ ही पूरी दुनिया कोरोना की वापसी की आहट से फिर से सहम गई है। इसका प्रतिकूल असर दुनिया भर के शेयर बाजारों पर भी पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। बाजार में बीएसई का सेंसेक्स गिरावट पर कामकाज कर रहा है। वहीं निफ्टी और बैंक निफ्टी में गिरावट नजर आई है। ऐसे में अगले साल बाजार की दशा और दिशा क्या रह सकती है। बाजार के सामने कौन सी चुनौतियां और कौन से मौके होंगे। नये साल 2023 के लिए मार्केट आउटलुक बताने के लिए कोटक एएमसी के प्रबंधन निदेशक और सीईओ नीलेश शाह (Kotak AMC, MD & CEO, Nilesh Shah) ने हमारे सहयोगी चैनल सीनबीसी-आवाज़ से विशेष बातचीत की। पेश है उनसे बातचीत की प्रमुख संपादित अंश-

दुनिया में फिर से कोविड की आहट दिख रही है जिससे बाजार में घबराहट नजर आने लगी है। इस पर आपकी क्या राय है

नीलेश ने कहा कि कोविड को लेकर सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में चिंता पसर गई है। शेयर बाजार भी इससे अछूते नहीं हैं। कोविड के बढ़ते मामले पर मार्केट की नजर बनी हुई है। इसके असर की बात करें तो चीन में कोविड मामले से सप्लाई चेन पर असर संभव है। चीन में कोविड संकट से कमोडिटी पर भी असर दिखेगा।

Investment Tips : वित्‍तीय संकट से बचाएगी निवेश की तीन रणनीति?

नई दिल्ली. ग्‍लोबल मार्केट में चल रही उठापटक का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी दिख रहा है. विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली से बाजार में गिरावट जारी है. 2022 में अब तक शेयर बाजार करीब 20 फीसदी टूट चुका है. एक्‍सपर्ट आगे भी बाजार में गिरावट का अनुमान लगा रहे हैं.

दरअसल, कोरोना महामारी की वजह से दुनियाभर में सप्‍लाई पर गंभीर असर पड़ा. रूस-यूक्रेन युद्ध ने महंगाई की आग को और भड़काने का काम किया, जिसे काबू में लाने के लिए भारत सहित सभी केंद्रीय बैंक अपनी ब्‍याज दरें बढ़ा रहे हैं. इसका सीधा असर कंपनियों के ग्रोथ और कर्ज की रफ्तार पर पड़ेगा जिससे शेयर बाजार में आगे भी करेक्‍शन आने की आशंका है. लिहाजा आपको बेहतर रिटर्न नए निवेशकों के लिए तीन रणनीतियों नए निवेशकों के लिए तीन रणनीतियों और वित्‍तीय संकट से पार पाने के लिए अलग रणनीति बनानी होगी. निवेश से जुड़ी तीन रणनीति पर अमल करके आप न सिर्फ बेहतर रिटर्न पा सकते हैं, बल्कि जोखिम से भी नए निवेशकों के लिए तीन रणनीतियों निपट सकेंगे.

पैसे की तत्काल जरूरत के लिए लिक्विड फंड में लगाएं पैसा

तत्‍काल जरूरत के समय काम आने वाले पैसों को बचत खाते में रखने के बजाए लिक्विड फंड में निवेश बेहतर विकल्प हो सकता है. म्यूचुअल फंड के इस सेग्मेंट में पैसों की तत्काल ज़रूरत पड़ने पर धन निकासी की जा सकती है. बचत खाते पर जहां 2 से 3% का ब्याज मिलता है, वहीं लिक्विड फंड आपको 6% तक ब्याज दिलाते हैं. हालांकि, आपको ये ध्यान रखना होगा कि लिक्विड फंड की लॉक इन अवधि 7 दिन हो गई है. इससे कम समय के लिए पैसे लगाने हैं तो ओवरनाइट फंड में निवेश करें, जहां 4.5% तक ब्याज मिलता है.

बड़े लक्ष्य के लिए है इक्विटी म्यूचुअल फंड

अगर आपका निवेश लक्ष्य 5 साल या उससे ज्यादा अवधि का हो तो म्यूचुअल फंड के जरिये इक्विटी में पैसे लगाना बेहतर विकल्प होगा. माना कि अभी इक्विटी बाजार ढलान पर है लेकिन पिछले तीन दशकों में अगर सिप के जरिये 7 साल के निवेश का रिटर्न देखें तो 12 से 13% तक मिला है. यही कारण है लंबी अवधि के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड हमेशा से आकर्षक रहा है.

निश्चित रिटर्न के एफडी सहित कई विकल्प

अगर आप बिना जोखिम उठाए निश्चित रिटर्न के विकल्पों में ही पैसे लगाना चाहते हैं तो एफडी, पीपीएफ, एनएससी और पोस्ट ऑफिस की मंथली स्कीम का चुनाव कर सकते हैं. रेपो रेट बढ़ने के बाद इन निवेश विकल्‍पों की ब्‍याज दरों में भी इजाफा हो रहा है. बैंक के अलावा आप एनबीएफसी के एफडी में भी निवेश कर सकते हैं, जहां 8% से ज्यादा रिटर्न मिलने की उम्मीद है.

नए निवेशकों के लिए बंद

नए निवेशकों के लिए बंद एक शब्द है जिसका अर्थ है कि एक फंड ने किसी भी ऐसे निवेशक से नए निवेश की अनुमति देने से रोकने का फैसला किया है जो पहले से फंड में निवेश नहीं कर रहे हैं। म्यूचुअल फंड और हेज फंड विभिन्न कारणों से नए नए निवेशकों के लिए तीन रणनीतियों निवेशकों को बंद करने का विकल्प चुन सकते हैं।

नए निवेशकों के लिए बंद का मतलब यह हो सकता है कि मौजूदा निवेशक अपनी स्थिति में और इजाफा कर सकते हैं, हालांकि हमेशा ऐसा नहीं होता है।

नए निवेशकों के लिए कैसे काम करता है

नए निवेशकों के लिए बंद करना एक ऐसा परिदृश्य है जब फंड फंड के साथ समस्या होने पर अपनी परिचालन गतिविधियों का प्रबंधन करने के लिए उपयोग कर सकता है। बंद फंड वर्तमान निवेशकों से निवेश लेना भी बंद कर सकते हैं। जब वे कुछ निवेशकों को बंद करने का निर्णय लेते हैं, तो फंड समापन की बारीकियों का विवरण दे सकता है या नहीं दे सकता है। नए निवेशकों के लिए फंड को बंद करने का निर्णय करना आसान नहीं है, क्योंकि फंड संभावित रूप से प्रबंधन शुल्क आय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा दे रहा है ।

आम तौर पर फंड दो कारणों में से एक के लिए बंद होता है। कम प्रदर्शन या कम मांग के कारण फंड बंद हो सकता है। इसके विपरीत, फंड को अत्यधिक आवक के साथ पर्याप्त मांग प्राप्त हो सकती है। यदि कोई फंड केवल नए निवेशकों के लिए बंद हो रहा है, तो नए निवेशकों के लिए तीन रणनीतियों यह संभावना है कि फंड सक्रिय रूप से काम करते हुए अपने प्रवाह को कम करना चाहता है।

चाबी छीन लेना

  • नए निवेशकों के लिए बंद एक शब्द है जिसका अर्थ है कि एक फंड ने किसी भी ऐसे निवेशक से नए निवेश की अनुमति देने का फैसला किया है जो पहले से फंड में निवेश नहीं कर रहे हैं।
  • म्यूचुअल फंड और हेज फंड विभिन्न कारणों से नए निवेशकों को बंद करने के लिए चुन सकते हैं जैसे कि अत्यधिक आमद या विशिष्टता को बनाए रखना।
  • फंड के खराब होने पर खराब प्रदर्शन के कारण फंड भी नए निवेशकों के करीब हो सकता है।

अत्यधिक सूजन

अत्यधिक धन प्रवाह कई कारणों से एक कारक हो सकता है। वे एसेट ब्लोट का कारण बन सकते हैं जो प्रबंधकों के लिए फंड की रणनीति के अनुरूप निवेश करना चुनौतीपूर्ण बनाता है। इससे पूंजी का उच्च स्तर और अक्षम प्रबंधन हो सकता है। बंद धन इस कारण से सक्रिय रूप से प्रबंधित रणनीतियों में सामान्य हो सकता है। तुलनात्मक रूप से, निष्क्रिय फंडों को परिसंपत्तियों का चयन करके चुनौती नहीं दी जाएगी और इसलिए फंड बंद होने की संभावना कम है।

एक और विचार जो पोर्टफोलियो प्रबंधकों के लिए महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से विविध फंडों में, एकल शेयरों में फंड की स्थिति है।1940 के निवेश कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत प्रबंधन निवेश कंपनियां विविध या गैर-विविध निधि का प्रबंधन कर सकती हैं। विविध धन में 75-5-10 नियम के भीतर संपत्ति होती है।यह नियम कहता है कि किसी भी कंपनी में धन की 5% से अधिक संपत्ति नहीं हो सकती है नए निवेशकों के लिए तीन रणनीतियों और किसी भी कंपनी के बकाया मतदान स्टॉक का 10% से अधिक स्वामित्व नहीं है।विविध फंडों को 75-5-10 अनुपालन का पालन करना चाहिए और यह नियम एक प्रमुख कारक हो सकता है जिसके कारण फंड अपने निवेश को सीमित कर सकते हैं।

निवेश करते रहे

आम तौर पर नए निवेशकों को बंद करना कोई प्रदर्शन-संबंधी मुद्दा नहीं है। इस प्रकार, वर्तमान निवेशकों को घबराना नहीं चाहिए। यदि कोई फंड समापन पर पूर्ण प्रकटीकरण प्रदान नहीं करता है, तो वर्तमान निवेशक अतिरिक्त जानकारी का अनुरोध कर सकते हैं। अक्सर, नए निवेशकों को बंद करने के लिए फंड की परिचालन दक्षता और उसके प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद की जाती है। मौजूदा निवेशकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि फंड में अपने पूरे निवेश को लिक्विडेट करके उन्हें भविष्य में नए निवेश करने से बचा सकते हैं।

रिटेल इन्वेस्टर्स को इक्विटी में ट्रेड करने में मदद कर रहा है यह फिनटेक स्टार्टअप

रिटेल इन्वेस्टर्स को इक्विटी में ट्रेड करने में मदद कर रहा है यह फिनटेक स्टार्टअप

जुलाई 2021 शुरू हुआ मोहित भंडारी और गौरव सांगले द्वारा स्थापित मुंबई स्थित स्टार्टअप Stratzy खुदरा निवेशकों के लिए ईज़ी-टू-एग्जीक्यूट स्टॉक ट्रेडिंग स्ट्रेटैजी प्रदान करता है। वर्तमान में इसके प्लेटफॉर्म पर 10,000 से अधिक यूजर्स हैं।

स्टॉक मार्केट ट्रैकिंग फर्म MarketMojo की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आज हर चार में से तीन भारतीय डीमैट खाते निष्क्रिय हैं। रिपोर्ट के अनुसार वास्तव में, कुछ प्रमुख ऑनलाइन ब्रोकरों के पास लगभग 70 प्रतिशत निष्क्रिय निवेशक हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक इसके पीछे तीन मुख्य कारण हैं:

  • निवेशकों को इक्विटी ट्रेडिंग में भारी नुकसान हुआ है और वे नहीं चाहते कि ऐसा दोबारा हो, इसलिए उन्होंने पूरी तरह से एसेट क्लास को छोड़ दिया है।
  • डीमैट खाताधारक अपनी ब्रोकरेज से खुश नहीं हैं।
  • उनके पास अपने पोर्टफोलियो को देखने, स्टॉक मूवमेंट को ट्रैक करने और भविष्य के सिग्नल की भविष्यवाणी करने का समय नहीं है।

इसका मतलब यह है कि भले ही इक्विटी ट्रेडिंग के लिए नए मार्केट निवेशकों को एक ऐसी प्रणाली की आवश्यकता है जो न केवल उन्हें बता सके कि कहां निवेश करना है और नुकसान को कैसे रोकना है, बल्कि बैकग्राउंड में ट्रेडिंग को स्वचालित कैसे करना है। वे चाहते हैं कि वे लगातार अपने ट्रेडिंग खातों में साइन इन करे या स्क्रीन के सामने बैठे, स्टॉक की गतिविधियों की निगरानी करे बिना ऐसा कर सकें।

BITS Pilani के दो पूर्व छात्र मोहित भंडारी और गौरव सांगले ने अपने कॉलेज के फाइनेंस क्लब की बैठकों के दौरान शेयर बाजारों में खेलते हुए नए निवेशकों को संभालने की आवश्यकता को महसूस किया था।

मोहित ने YourStory को बताया, "Wall Street क्लब का उपाध्यक्ष होने के नाते, हम जूनियर्स को स्टॉक निवेश और मात्रात्मक व्यापार के बारे में पढ़ाते थे। तभी मुझे एहसास हुआ कि बहुत से लोगों के पास सक्रिय रूप से निवेश करने के लिए समय और संसाधन नहीं हैं, भले ही वे इसमें रुचि रखते हों।”

Stratzy

वे कहते हैं, "मैंने महसूस किया कि अगर हम निवेशकों के समय और प्रयास को बचा सकते हैं, तो हम वास्तव में उन्हें कुछ मूल्य प्रदान कर सकते हैं।"

मोहित और गौरव ने  Stratzy  की स्थापना की, यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो ऑनलाइन निवेशकों को ट्रेडिंग रणनीतियों की सिफारिश करने के लिए रिसर्च और इनसाइट का उपयोग करता है। यह खुद को एक नो-ब्रोकर प्लेटफॉर्म के रूप में स्थान देता है, जहां यूजर्स को एक निवेश प्रबंधक को भारी प्रबंधन शुल्क या अपने मुनाफे में कटौती का भुगतान नहीं करना पड़ता है।

वर्तमान में स्टार्टअप के प्लेटफॉर्म पर 10,000 से अधिक यूजर्स हैं, जिसमें 3,000 मासिक सक्रिय यूजर्स हैं।

काम कैसे करता है प्लेटफॉर्म?

Stratzy विभिन्न प्रकार की ट्रेडिंग रणनीतियाँ प्रदान करता है, और इनमें से प्रत्येक रणनीति में विविध पोर्टफोलियो सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न शेयरों का मेल होता है।

रणनीतियों को दो मुख्य भागों में विभाजित किया गया है:

आइडिया: यह उत्पाद उन शेयरों को रिकमेंड करता है जिन्हें यूजर्स को खरीदना चाहिए और उन्हें एक सरल कारण देता है कि उन्हें ऐसा क्यों करना चाहिए।

मोहित बताते हैं: “आइए 2020 पर वापस जाएं जब हर डॉक्टर COVID-19 रोगियों को पैरासिटामोल लिख रहा था। भारत में एक कंपनी है जो पैरासिटामोल बनाने के लिए जरूरी केमिकल बनाती है और वो है आईओएल केमिकल्स। COVID-19 के भारत में आने के बाद के हफ्तों में इसके शेयर की कीमत दोगुने से से अधिक बढ़ गई।”

प्लेटफॉर्म पर मौजूद विश्लेषक न केवल आकर्षक निवेश के अवसरों के बारे में निर्णय लेने के लिए व्यापक आर्थिक बाजार के विकास को ट्रैक करते हैं, बल्कि समाचारों को भी देखते हैं।

स्ट्रैटज़ीज़: इसके तहत, Stratzy चक्रीय युद्ध-परीक्षण वाले व्यापारिक विकल्पों की सिफारिश करता है। उदाहरण के लिए, वाडीलाल एक ऐसा स्टॉक है जो विशेष रूप से गर्मियों के दौरान अधिक बिक्री देखता है और उन महीनों में स्टॉक का रुझान अधिक होता है।

गौरव बताते हैं, "इसके तहत, हम स्टॉक चुनते हैं और जोखिम को कम करते हुए अधिकतम रिटर्न उत्पन्न करने के लिए एक विविध स्टॉक पोर्टफोलियो बनाते हैं।"

स्टार्टअप का कहना है कि उसने कई ऑनलाइन ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म के साथ एकीकृत किया है, जिसमें 5 पैसा, फेयर्स और कोटक सिक्योरिटीज शामिल हैं, जहां लोग Stratzy की ट्रेडिंग गेम योजनाओं को निष्पादित कर सकते हैं।

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व्यापार

स्टार्टअप का राजस्व उन रणनीतियों पर निर्भर करता है जो लोगों को ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म पर निष्पादित करने में मदद करती हैं और यह ज्यादातर कमीशन में 50 प्रतिशत से 90 प्रतिशत के बीच रहता है। ऐप का एक प्रीमियम संस्करण भी है जहां यह उभरते एचएनआई और 2 लाख रुपये से अधिक की राशि वाले लोगों के लिए आइडिया बेचता है।

Stratzy के मुख्य प्रतिस्पर्धियों में  Smallcase  ,  RAIN Technologies  , Algobulls,  PickRight  और KyaTrade शामिल हैं। इसने Leo Capital, Titan Capital, और First Cheque सहित निवेशकों से 800,000 डॉलर जुटाए हैं।

अपनी स्थापना के बाद से स्टार्टअप महीने-दर-महीने 20 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक बढ़ रहा है।

भारतीय ब्रोकरेज बाजार 2016 से 7.69 प्रतिशत की CAGR से बढ़ रहा है, तब इसका मूल्य 13,500 करोड़ रुपये था। उद्योग नए निवेशकों के लिए तीन रणनीतियों ने COVID-19 संकट के दौरान भी तेजी से वृद्धि देखी, जब रिटेल निवेशकों साधनों में निवेश करने के लिए ऑनलाइन ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म का सहारा लिया।

अधिक से अधिक रिटेल निवेशक बाजारों में शामिल नए निवेशकों के लिए तीन रणनीतियों हो रहे हैं और ऐसे उत्पादों की तलाश कर रहे हैं जो इक्विटी ट्रेडिंग से जुड़े कठिन बिंदुओं को कम कर सकें, ऐसे में Stratzy जैसी कंपनियों के पास एक बड़ा बाजार है।

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