केंद्र सरकार ने छोटे व्यापारियों को दी बड़ी राहत, एक अप्रैल से होगा लागू

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने छोटे कारोबारियों के लिए एक राहत का काम किया है। सरकार ने जीएसटी में रजिस्ट्रेशन से छूट के लिए वार्षिक कारोबार की सीमा बढ़ाकर 40 लाख रुपये किए जाने के फैसले को अधिसूचित कर दिया है। यह छूट एक अप्रैल से लागू होगी। इस छूट के बाद छोटे उद्यमियों को काफी लाभ होगा।

वहीं 1.5 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली इकाइयों को एक मुश्त कर (कंपोजीशन) की योजना भी एक अप्रैल से लागू कर दी गयी है। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने 10 जनवरी को ये निर्णय किए। काउंसिल में राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं। वित्त मंत्रालय के मुताबिक, ये निर्णय एक अप्रैल से प्रभावी होंगे।

वित्त मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि वस्तुओं की आपूर्तिकर्ताओं के लिए जीएसटी के तहत पंजीकरण और भुगतान से छूट के लिये दो सीमा है। एक सीमा 40 लाख रुपये और दूसरी सीमा 20 लाख रुपये है। राज्यों के पास एक सीमा अपनाने का विकल्प है।

जीएसटी एक मुश्त योजना के तहत अब 1.5 करोड़ रुपये के कारोबार वाले कारोबारी आएंगे, जबकि अबतक यह सीमा 1.0 करोड़ थी। इसके तहत कारोबारियों को एक प्रतिशत कर देना होता है, यह एक अप्रैल से प्रभावी होगा।

Pradhan Mantri Mudra Yojana Essay in Hindi प्रधानमंत्री मुद्रा योजना पर निबंध

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Essay on Pradhan Mantri Mudra Yojana in Hindi 500 Words

परिचय

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 अप्रैल 2015 को छोटे कारोबारियों को व्यवसाय में बढ़ावा देने के उद्देश्य से मुद्रा बैंक योजना की घोषणा की है, इसे प्रधानमंत्री मुद्रा योजना भी कहा जाता है। जिसकी शुरुआत वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट (2015-16) में 20 हजार करोड़ कोष और 3 हजार करोड़ रुपये साख गारंटी रखकर की है। यह योजना बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है क्योंकि यह छोटे उद्यमियों को प्रोत्साहन देती है, बल्कि विकास को देश के सबसे छोटे स्तर से शुरु करती है।

मुख्यभाग

मूल रूप से देश के गैर कॉर्पोरेट छोटे व्यापरियों के वित्तिय पोषण जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत सरकार द्वारा तैयार किया गया उपक्रम है। यह विचार छोटे व्यापारियों को वित्तिय सहायता प्रदान करने के लिए है क्योंकि भारत में इन्हीं छोटे व्यापार करने वालों की आबादी ज्यादा है।

मुद्रा का पूरा नाम है – माईक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाईनेंस एजेंसी लिमिटेड मुद्रा बैंक की शिशु श्रेणी के तहत जो व्यापार अभी-अभी शुरू हुए हैं, उनके लिए 50,000 रूपये केवल 10 प्रतिशत की ब्याज दर पर लोन दिया जा रहा है। वहीं किशोर श्रेणी में 50,000 रुपये से लेकर 5 लाख रूपये केवल 14 से 17 प्रतिशत ब्याज दर पर लोन दिया जा रहा है और तरूण श्रेणी में वे कारोबारी हैं जो स्थापित हो कर प्रतिष्ठित हो गये है उन्कों 10,00,000 रूपये केवल 16 प्रतिशत ब्याज दर से लोन उपलब्ध करवाती है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस योजना के तहत अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों की श्रेणी की महिलाओं के लिए लोन देने को प्राथमिकता दी जाएगी।

मुद्रा बैंक का लक्ष्य

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत सूक्ष्म छोटे व्यापारियों के लिए जेटली की योजना व्यवसायों के लिए स्थानीय ऋण आपूर्ति की एक अच्छी संरचना का निर्माण करना।
छोटे उद्योग वित्त पोषण व्यवसायों के लिए नीति और दिशा निर्देशों को निर्धारित करना।
सूक्ष्म वित्तीय संस्थाओं का पंजीकरण।
सूक्ष्म वित्तीय संस्थाओं का मूल्यांकन।
अल्प वित्त संस्थाओं को मान्यता प्रदान करना।
कुटीर उदयोगों के लिए ऋण प्रदान करने वालों के लिए मानक नियम पत्रों के समूह का विकास।
उचित ग्राहक सुरक्षा सिद्धान्तों और वसूली के नियमों को सुनिश्चित करना।

निष्कर्ष

मुद्रा योजना के तहत आसानी से लोन मिलने पर बड़ी संख्या में रोजगार के मौके बनेंगे। मुद्रा योजना से पहले तक छोटे उद्यम के लिए बैंक से लोन लेने में काफी औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती थीं। इसके लिए गारंटी भी देनी पड़ती थी। इस वजह से कई लोग उद्यम तो शुरू करना चाहते थे, लेकिन बैंक से लोन लेने से कतराते थे। मुद्रा योजना के तहत बिना गारंटी के लोन मिलता है, इसके अलावा लोन के लिए कोई प्रोसेसिंग चार्ज भी नहीं लिया जाता है। मुद्रा योजना में लोन चुकाने की अवधि को 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है।

जीएसटी छूट हुई दोगुनी, 20 लाख से बढ़ाकर 40 लाख हुई सीमा, GST काउंसिल बैठक ने लिए ये महत्वपूर्ण फैसले

दिल्ली. छोटे कारोबारियों को राहत देते हुए माल एवं सेवा कर परिषद ने गुरुवार को जीएसटी छूट सीमा को बढ़ाकर दोगुना कर दिया. अब यह सीमा 40 लाख रुपए होगी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद छोटे व्यापारियों के लिए जेटली की योजना मीडियाकर्मियों से कहा कि छोटे कारोबारियों के लिए जीएसटी से छूट सीमा को 20 लाख से बढ़ाकर 40 लाख रुपए वार्षिक कर दिया है, जबकि पूर्वोत्तर राज्यों में इसे बढ़ाकर 20 लाख रुपए किया गया है. पूर्वोत्तर राज्यों के व्यवसायियों के लिए पहले यह सीमा दस लाख रुपए थी.

अब डेढ़ करोड़ रुपए तक का कारोबार करने वाली इकाइयां एक प्रतिशत दर से जीएसटी भुगतान की कंपोजिशन योजना का लाभ उठा सकेंगी. यह व्यवस्था एक अप्रैल से प्रभावी होगी. पहले एक करोड़ रुपए तक के कारोबार को यह सुविधा प्राप्त थी. यदि सभी राज्यों द्वारा छूट सीमा दोगुनी करने के फैसले को लागू किया जाता है, तो इससे सालाना 5,200 करोड़ रुपए का राजस्व नुकसान होगा.

वित्त मंत्री ने कहा कि कंपोजिशन योजना के तहत छोटे व्यापारियों को अपने कारोबार के आधार पर एक प्रतिशत का कर देना होता है. एक अप्रैल से अब इस योजना का लाभ डेढ़ करोड़ रुपए तक का कारोबार करने वाले उठा सकते हैं.

इसके अलावा 50 लाख रुपए तक का कारोबार करने वाले सेवा प्रदाता और माल की आपूर्ति दोनों काम करने वाले कारोबारियों को भी जीएसटी कंपोजिशन योजना का विकल्प चुन सकते हैं. उन्हें 6 प्रतिशत की दर से कर देना होगा. कंपोजिशन योजना के तहत लिए गए इन दोनों निर्णयों से राजस्व पर सालाना 3,000 करोड़ रुपए तक का प्रभाव होगा. जेटली ने कहा कि इन दो कदमों से सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों (एमएसएमई) को राहत मिलेगी.

जेटली ने कहा कि कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुनने वालों को सालाना सिर्फ एक कर रिटर्न दाखिल करनी होगी. हालांकि, उन्हें हर तिमाही में एक बार कर का भुगतान करना होगा. जीएसटी का एक बड़ा हिस्सा संगठित क्षेत्र और बड़ी कंपनियों से आता है. इन सभी फैसलों का मकसद एसएमई की मदद करना है.

राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने कहा कि अभी जीएसटी छूट की सीमा 20 लाख रुपए है. 10.93 लाख करदाता ऐसे हैं जो 20 लाख रुपए की सीमा से नीचे हैं, लेकिन कर अदा कर रहे हैं. 40 लाख रुपए की छूट की सीमा उन इकाइयों के लिए है, जो वस्तुओं का कारोबार- व्यापार राज्य के भीतर करते हैं. एक राज्य से दूसरे राज्य में कारोबार करने छोटे व्यापारियों के लिए जेटली की योजना वाली इकाइयों को यह छूट सुविधा नहीं मिलेगी. कम्पोजिशन योजना के तहत व्यापारी और विनिर्माता एक प्रतिशत की रियायती दर से कर का भुगतान कर सकते हैं. रेस्तरांओं को इसके तहत पांच प्रतिशत जीएसटी देना होता है. जीएसटी के तहत पंजीकृत इकाइयों की संख्या 1.17 करोड़ से अधिक है. इनमें से 18 लाख इकाइयों ने कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुना है.
जेटली ने कहा कि रीयल एस्टेट क्षेत्र की जीएसटी दर तय करने के मुद्दे पर एक सात सदस्यीय मंत्री समूह बनाया गया है. लाटरी को जीएसटी के दायरे में लाने के मामले में भी अलग अलग विचार रहे इस पर भी एक मंत्री समूह विचार करेगा.

एमएसएमई को राहत पर बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी की अगुवाई वाले मंत्री समूह ने रविवार को छूट सीमा को बढ़ाकर 40 लाख रुपए करने का फैसला किया था. मंत्री समूह के इन फैसलों को गुरुवार को परिषद के समक्ष रखा गया. जीएसटी से छूट की सीमा को 20 लाख से बढ़ाकर 40 लाख रुपए किया गया, लेकिन केरल और छत्तीसगढ़ ने इसे 20 लाख रुपए ही रखने पर जोर दिया. इसलिए राज्यों को यह विकल्प दिया गया है कि वह 20 लाख अथवा 40 लाख को रख सकते हैं.

Budget 2018 : PM मोदी ने ठोंकी FM अरुण जेटली की पीठ

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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कृषि, स्वास्थ्य और छोटे व्यापार को ध्यान में रखकर सभी के लिए उपयुक्त बजट पेश करने के लिए वित्तमंत्री अरुण जेटली की सराहना की। मोदी ने लोकसभा में जेटली द्वारा वर्ष 2018-19 का बजट पेश करने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा, "यह बजट किसानों, आम नागरिकों, पर्यावरण और विकास के लिए अनुकूल है।"

उन्होंने कहा, "बजट में व्यापार करने को आसान बनाने के साथ, जीवन को आसान बनाने पर भी ध्यान दिया गया है।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "इस बजट में सभी क्षेत्रों, कृषि से लेकर आधारभूत क्षेत्रों तक पर ध्यान दिया गया है। यह बजट भारत के 125 करोड़ लोगों के उम्मीदों और अपेक्षाओं को मजबूत करने वाला है।"

मोदी ने बजट में उठाए गए कई कदमों की ओर भी इशारा किया और कहा कि कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा समेत अन्य क्षेत्रों में कई वित्तीय उपायों से समाज के निचले वर्ग को भी फायदा होगा।

उन्होंने कहा, "इन कदमों का लाभ गरीबों, वंचितों और शोषितों तक पहुंचेगा।"

मोदी ने कहा, "किसानों, दलितों और आदिवासी समुदायों को इस बजट से फायदा होगा। बजट ग्रामीण भारत के लिए नया अवसर लाएगा।"

प्रधानमंत्री ने खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) किसानों की उत्पादन लागत का 1.5 गुना किए जाने के निर्णय की घोषणा की ओर इशारा करते हुए कहा, "मैं वित्तमंत्री को एमएसपी के संबंध में निर्णय लेने के लिए बधाई देता हूं। मैं आश्वस्त हूं कि इससे किसानों को अत्यधिक फायदा होगा।"

मोदी ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा परियोजना की भी सराहना की, जिसके अंतर्गत देश के 10 करोड़ गरीब परिवारों को पांच लाख तक का कवर दिया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने कहा, "यह वैश्विक स्तर पर सरकार प्रायोजित सबसे बड़ी योजना है।"

उन्होंने कहा, "गरीब लोगों की सबसे बड़ी चिंता स्वास्थ्य सेवा होती है। बजट में नई योजनाओं की घोषणा गरीबों के लिए राहत देने वाली है।"

मोदी ने कहा, "इससे लगभग 10 करोड़ गरीब परिवार और मध्यम वर्गीय परिवारों को फायदा होगा। इसके अंतर्गत लगभग 45 से 50 करोड़ लोग आएंगे।"

प्रधानमंत्री ने देश में 24 नए मेडिकल कॉलेज खोले जाने, वरिष्ठ नागरिकों को कर में रियायत देने पर, सूक्ष्म, छोटे और मझौले उद्यम के कर में कटौती करने पर, वेतनभोगी वर्ग को कुछ कर रियायतें देकर राहत देने पर बजट की सराहना की।

उन्होंने कहा, "मैं आश्वस्त हूं कि आने वाले वर्षो में भारत विकास की नई ऊंचाई को स्पर्श करेगा।"

लेकिन नहीं मिली आयकर दरों में कोई राहत

केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को आयकर दरों में 2018-19 के लिए कोई राहत नहीं दी। जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा, "सरकार ने बीते तीन सालों में लोगों पर लागू निजी आयकर दरों में बहुत से सकारात्मक बदलाव किए हैं।"

उन्होंने कहा, "इसलिए मैं व्यक्तिगत आयकर दरों की संरचना में बदलाव करने का प्रस्ताव नहीं करता हूं।"

वेतनभोगी करदाताओं को राहत देने के क्रम में जेटली ने 'परिवहन भत्ता और विभिन्न चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति के संबंध में वर्तमान छूट के बदले 40,000 रुपये के मानक कटौती का प्रस्ताव दिया।"

जेटली ने 2017-18 के बजट में 2.5 लाख प्रतिवर्ष से पांच लाख रुपये प्रतिवर्ष की आयकर स्तर में आयकर 10 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी किया था।

चुनाव से पहले के अंतिम बजट से क्‍या उम्‍मीदें हैं? एक फौरी आकलन

वित्त मंत्री अरुण जेटली मोदी सरकार के कार्यकाल का अंतिम और अपना पांचवां आम बजट पेश करने वाले हैं। ये 2019 में होने वाले चुनाव से पहले का अंतिम आम बजट है लिहाजा ये कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव के मद्देनज़र आम आदमी, खासकर गरीबों और किसानों को राहत दी जाएगी और उन्हें केंद्र में रख कर नयी योजनाओं की घोषणा की जा सकती है। साथ ही नोटबंदी की मार से त्रस्त हुए निम्न मध्यम वर्ग और छोटे व्यापारियों को राहत पहुँचाने की कोशिश की जा सकती है।

चुनावी वर्ष का बजट होने के नाते इस तरह की अपेक्षाएं लाजिमी हैं, हालांकि लोक लुभावन बजट देना मोदी सरकार की मजबूरी कभी नहीं रही है। चुनाव जीतने के लिए उसके पास सफलतापूर्वक आजमाया गया नुस्खा तो है ही। यानी अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करना, उन्हें देशद्रोही कहना, हिन्दू बनाम मुस्लिम का राग अलापना और अंत में प्रधानमंत्री मोदी का मंदिर-मंदिर मत्था टेकना।

फिर भी लोकतंत्र में आम आदमी को यह सन्देश देना सरकारों के लिए लाजिमी हो जाता है कि वे गरीबों के कल्याण के लिए प्रयासरत हैं। इसी मजबूरी के चलते मोदी सरकार गरीबों और किसानों को कुछ राहत दे सकती है। गुजरात चुनाव में ग्रामीण इलाकों में हुई फजीहत के चलते किसानों और कृषि मजदूरों को आर्थिक फ़ायदा पहुँचाने वाली नई ग्रामीण योजनाओं की घोषणा की जा सकती है। साथ ही वर्तमान में चालू मनरेगा, ग्रामीण आवास योजना, सिंचाई योजना और फ़सल बीमा योजना जैसी योजनाओं और कार्यक्रमों को आबंटित की जाने वाली राशि में इजाफ़ा किया जा सकता है। चूंकि आगामी आम चुनाव में ग्रामीण भारत में व्याप्त असंतोष निर्णायक असर छोड़ सकता है इसलिए उम्मीद की जा सकती है कि वित्त मंत्री के बजटीय भाषण का एक बड़ा हिस्सा कृषि अर्थव्यवस्था पर केंद्रित हो सकता है और कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने, उन्हें बाज़ार मुहैया कराने सम्बन्धी योजनाओं व उनके मद में बड़ी राशि के आवंटन की घोषणा भी हो सकती है। साथ ही फसल के न्यूनतम मूल्य में इजाफा और अनाज के रख-रखाव सम्बन्धी सुविधाओं के बढ़ोत्तरी को लेकर भी घोषणाएं हो सकती हैं।

देखना ये होगा कि क्या ये बजट जीएसटी की मार झेल रहे छोटे और मझोले व्यापारियों को राहत पहुँचाने के लिए कोई घोषणा करता है? उम्मीद तो कम लगती है क्योंकि मोदी सरकार पहले ही खुदरा में सौ फ़ीसदी विदेशी निवेश की घोषणा कर इन व्यापारियों के जले में नमक छिड़क चुकी है।

जीएसटी लागू होने के बाद अब अप्रत्यक्ष करों की दर में बढ़त-घटत का अनुमान लगाना व्यर्थ है। हाँ, आयात-निर्यात की स्थिति को देखते हुए कस्टम ड्यूटी के फेरबदल से इंकार नहीं किया जा सकता है। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ की अवधारणा को फ़लीभूत करने के उद्देश्य से आयात होने वाली कुछ चीजों पर कस्टम ड्यूटी में राहत की संभावना देखी जा सकती है। वैश्विक अर्थव्यवस्था के धीरे-धीरे पटरी पर वापस आने को देखते हुए कुछ वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कस्टम ड्यूटी में छूट दी जा सकती है।

जहां तक आय कर की सीमा में छूट की बात है तो इसकी उम्मीद कम ही नज़र आती है। पिछले चार वर्षों से मोदी सरकार मध्यवर्ग की उम्मीदों पर पानी फेरती रही है और इस बजट में भी ऐसा ही हो सकता है। इसका कारण भी है। वित्तीय घाटे से परेशान मोदी सरकार नोटबंदी के अप्रत्यक्ष परिणाम स्वरुप बढे करदाता बेस को दुहने के लोभ से खुद को बचा नहीं सकती है। वहीं कॉरपोरेट के प्रति भक्त ये सरकार कॉरपोरेट कर की दर ३० फीसदी से घटा कर २५ फीसदी कर सकती है। हाँ, शेयर बाज़ार से होने वाली आमदनी को कर के दायरे में लाने की उम्मीद की जा सकती है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी ढांचागत निवेश और निर्माण क्षेत्र में पूंजीगत निवेश की ताकि नौकरियों का सर्जन हो सके और अर्थव्यवस्था को गति प्रदान का जा सके। बड़ी चुनौती वित्तीय घाटे को जीडीपी के 3.2 फीसद तक सीमित रखने की भी है लेकिन साथ ही चुनौती सरकारी पूंजी निवेश को बढ़ा कर विकास दर को गति देने की भी है।

देखना है कि वित्त मंत्री अपने बजट में इन सभी चुनौतियों का सामना कर पाते हैं या नहीं?

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